Thursday 25 August 2022

प्रेत बिटिया (हॉरर कहानी) | Horror Story In Hindi




हाइवे पर रात बारह बजे का आतुर सन्नाटा जिसकी खामोशियों में छिपी होती है रफ्तार की पुकार जो खींच लेती है हर मुसाफिर को अपनी ही मस्ती में और उसी मस्ती में आज डूबे बेपरवाह अपनी विदेशी कार में मंजिल की ओर आ रहे थे पराग वर्मा, पत्नी शताक्षी और आठ साल की बेटी साशा के साथ। गाड़ी में बजते तेज म्यूजिक और वीकेंड मनाकर लौटने की खुशी जैसे अंदर बैठे लोगों से छलक-छलक के गाड़ी के पहियों पर भी बरस जा रही थी और पहिये चलते-चलते कब उड़ने को हो आते, किसी को पता नहीं चलता। तभी अचानक सामने से आ रहे ट्रक की तेज हॉर्न और तीखी हेडलाइट ने पराग और उनके परिवार की किलकारियों को बुरी तरह चौंका दिया। अचानक खुमार से बाहर आये पराग के लिए ब्रेक, स्टेयरिंग, गीयर कुछ पलों के लिए मानों पहेली बन गये और एक जोरदार धमाके ने मल्टीनेशनल कंपनी में ऊँचे पद पर कार्यरत पराग की जिंदगी को हमेशा-हमेशा के लिए बदल दिया।


घटना के छः महीने बीत चुके थे। पराग और शताक्षी, अपने घर की लॉबी में उदासियों की गोद में बैठे थे और उनके सीने को छेद रही थी सामने दीवार पर टँगी साशा की तस्वीर जिसे फूलमाला ने जंजीर की तरह जकड़ रखा था। उस दुर्घटना में पराग, शताक्षी तो किसी तरह बच गये लेकिन साशा को नहीं बचाया जा सका था। पराग की उदासी में जहर घोलने वाली एक और घटना जो शुरू हो चुकी थी, वो थी शताक्षी का अनसुलझा बर्ताव। कभी वह रात को उठकर ऐसे बात करने लगती जैसे उसके सामने साशा हो तो कभी साशा के लिए नये कपड़े खरीद के ले आती। पराग उसे समझा के हार चुका था लेकिन कोई फायदा नहीं था। इसलिए अब वह निर्णय ले चुका था कि वो शताक्षी को अकेला नहीं छोड़ेगा। अपनी बड़ी बहन मायरा से उसने बात कर ली थी और वह उसके घर आ रही थी जोशना के साथ। 

Saturday 20 August 2022

कौन आया था | horror story in hindi | Best Ghost Stories In Hindi

कौन आया था | horror story in hindi | Best Ghost Stories In Hindi 


सुरभि को नींद नहीं आ रही थी। कभी इस करवट तो कभी उस करवट बेचैन। नजर रह-रह के खुली खिड़की पर जाती या फिर अपने पीठ पीछे। खुद पर ही गुस्सा आ रहा था। क्यों देखती है वह डरावने सीरियल, भूतिया फिल्में? फिर से मन में चलने लगा न अकेले होते ही वही सब! मम्मी-पापा, दादी भी शादी में गये हुए। मोबाइल में समय देखा तो बारह बज के दो मिनट। तुरंत दिमाग में कौंधा "बारह बजे से चार बजे सुबह तक का समय शैतानी शक्तियों का होता"। घबराहट को और भी पंख लग गये। जबरदस्ती आँखें बंद कर लेट गयी और मन को एकाग्र करने की कोशिश करने लगी जिससे नींद आ जाए। ये सब करते अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि अचानक पैरों में कुछ सुरसुराहट महसूस हुई। देखा तो कोई डरावना सा हाथ पैरों को छू रहा था। वह जोर से चीख उठी लेकिन आसपास कोई नहीं था।





"ओह्ह चलो सपना था"


सीने पर हाथ रख के सोचा। दिल बहुत कस के धड़कने लगा था। तेज-तेज साँसे लेती फिर से पलकें मूँद लेट गयी। तभी बिछिया की आवाज आयी

प्रेत बिटिया (हॉरर कहानी) | Horror Story In Hindi

हाइवे पर रात बारह बजे का आतुर सन्नाटा जिसकी खामोशियों में छिपी होती है रफ्तार की पुकार जो खींच लेती है हर मुसाफिर को अपनी ही मस्ती में और उस...